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दारिद्रयदहन शिव स्तोत्रम्‌

दारिद्रयदहन शिव स्तोत्रम्‌ : प्रतिदिन भगवान शंकर का पूजन करके दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्‌ का पाठ करना चाहिए। इससे शिव की कृपा प्राप्ति होकर दारिद्रय का नाश होता है तथा अथाह धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इसे पूरे श्रावण मास में सिर्फ पढ़ने से बेशुमार धन संपदा मिलने के योग बनते हैं। व्यक्ति घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हों, कर्ज में डूबे हों, व्यापार व्यवसाय की पूंजी बार-बार फंस जाती हो उन्हें दारिद्रय दहन स्तोत्र से शिवजी की आराधना करनी चाहिए। महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र बहुत असरदायक है। यदि संकट बहुत ज्यादा है तो शिवमंदिर में या शिव की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन तीन बार इसका पाठ करें तो विशेष लाभ होगा। जो व्यक्ति कष्ट में हैं अगर वह स्वयं पाठ करें तो सर्वोत्तम फलदायी होता है लेकिन परिजन जैसे पत्नी या माता-पिता भी उसके बदले पाठ करें तो लाभ होता है।

दारिद्रयदहन शिव स्तोत्रम्‌ के श्लोक

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय

कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।

कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय

दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय

कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।

गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय ॥दारिद्रय. ॥2॥

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय

उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।

ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय ॥ दारिद्रय. ॥3॥

चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय

भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।

मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय ॥ दारिद्रय. ॥4॥

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय

हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।

आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय ॥दारिद्रय. ॥5॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय

कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय ॥दारिद्रय. ॥6॥

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय

नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय ॥ दारिद्रय. ॥7॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय

गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।

मातङग्‌चर्मवसनाय महेश्वराय ॥ दारिद्रय. ॥8॥

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्‌।

सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्‌।

त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्‌ ॥9॥\

दारिद्रयदहन शिव स्तोत्रम्‌

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