ब्राह्मण वेष में पार्वती के घर जाना – तीसवां अध्याय
्रह्माजी बोले ;- हे नारद! गिरिराज हिमालय और देवी मैना के मन में भगवान शिव के प्रति भक्ति भाव देखकर सभी देवता आपस में विचार-विमर्श करने लगे। तब देवताओं के…
शिव पुराण – सात संहिताएं हैं।
शिव महापुराण में कुल मिलाकर 7 संहिताएं (sections) हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं:
्रह्माजी बोले ;- हे नारद! गिरिराज हिमालय और देवी मैना के मन में भगवान शिव के प्रति भक्ति भाव देखकर सभी देवता आपस में विचार-विमर्श करने लगे। तब देवताओं के…
ब्रह्माजी बोले ;- हे महामुनि नारद! भगवान शिव के वहां से अंतर्धान हो जाने के उपरांत देवी पार्वती भी अपनी सखियों के साथ प्रसन्नतापूर्वक अपने पिता के घर की ओर…
ब्रह्माजी कहते हैं ;— नारद! परमेश्वर भगवान शिव की बातें सुनकर और उनके साक्षात स्वरूप का दर्शन पाकर देवी पार्वती को बहुत हर्ष हुआ। उनका मुख मंडल प्रसन्नता के कारण…
पार्वती बोलीं ;- हे ब्राह्मण देवता! मैं तो आपको परमज्ञानी महात्मा समझ रही थी परंतु आपका भेद मेरे सामने पूर्णतः खुल चुका है। आपने शिवजी के विषय में मुझे जो…
पार्वती बोलीं ;- हे जटाधारी मुनि! मेरी सखी ने जो कुछ भी आपको बताया है, वह बिलकुल सत्य है। मैंने मन, वाणी और क्रिया से भगवान शिव को ही पति…
्रह्माजी बोले ;- हे मुनिश्रेष्ठ नारद! सप्तऋषियों ने पार्वती जी के आश्रम से आकर त्रिलोकीनाथ भगवान शिव को वहां का सारा वृत्तांत सुनाया। सप्तऋषियों के अपने लोक चले जाने के…
ब्रह्माजी कहते हैं ;— देवताओं के अपने-अपने निवास पर लौट जाने के उपरांत भगवान शिव पार्वती की तपस्या की परीक्षा लेने के विषय में सोचने लगे। वे अपने परात्पर, माया…
ब्रह्माजी कहते हैं ;— हे नारद! देवताओं ने वहां पहुंचकर भगवान शिव को प्रणाम करके उनकी स्तुति की। वहां उपस्थित नंदीश्वर भगवान शिव से बोले ;- प्रभु! देवता और मुनि…
रह्माजी कहते हैं ;— मुनिश्वर! भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए पार्वती को तपस्या करते-करते अनेक वर्ष बीत गए। परंतु भगवान शिव ने उन्हें वरदान तो…
्रह्माजी बोले ;- हे देवर्षि नारद! जब तुम पंचाक्षर मंत्र का उपदेश देकर उनके घर से चले आए तो देवी पार्वती मन ही मन बहुत प्रसन्न हुईं क्योंकि उन्हें महादेव…
्रह्माजी कहते हैं ;— नारद! जब भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर उसकी अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया तब मैंने उस क्रोधाग्नि से भयभीत देवताओं सहित सभी…
्रह्माजी बोले ;– हे नारद जी ! जब भगवान शंकर ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर उसकी अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया तो इस त्रिलोक के सभी चराचर जीव…
रह्माजी बोले ;– हे मुनि नारद! कामदेव अपनी पत्नी रति और वसंत ऋतु को अपने साथ लेकर हिमालय पर्वत पर पहुंचे जहां त्रिलोकीनाथ भगवान शिव शंकर तपस्या में मग्न बैठे…
्रह्माजी बोले ;- नारद! स्वर्ग में सब देवता मिलकर सलाह करने लगे कि किस प्रकार से भगवान रुद्र काम से सम्मोहित हो सकते हैं? शिवजी किस प्रकार पार्वती जी का…
ब्रह्माजी बोले ;- नारद जी ! सभी देवता तारकासुर के डर के कारण मारे-मारे इधर-उधर भटक रहे थे। इंद्र ने सभी देवताओं को मेरे पास आने की सलाह दी। सभी…
ब्रह्माजी बोले ;- हे मुनिश्रेष्ठ नारद! कुछ समय बाद वज्रांग की पत्नी गर्भवती हो गई। समय पूर्ण होने पर उसकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। वह बालक बहुत…