किन्नौर कैलाश

किन्नौर कैलाश (स्थानीय तौर पर किन्नर कैलाश के रूप में जाना जाता है) हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक पर्वत है। हिन्दू पौराणिक कथानुसार, किन्नर कैलाश में भगवान शिव…

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श्रीखंड महादेव कैलाश

श्रीखंड महादेव कैलाश, जिसे शिखर कैलाश भी कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश, भारत में एक हिन्दू तीर्थस्थल है, जिसे भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती का निवास स्थान माना…

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आदि कैलाश

आदि कैलाश (कुमाऊंनी: आदि कैलाश), जिसे शिव कैलाश, छोटा कैलाश, बाबा कैलाश या जोंगलिंगकोंग पीक के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में…

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दक्ष का यज्ञ को पूर्ण करना – बयालीसवां अध्याय

ब्रह्माजी कहते हैं: नारद मुनि! इस प्रकार श्रीहरि, मेरे, देवताओं और ऋषि-मुनियों की स्तुति से भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए। वे हम सबको कृपादृष्टि से देखते हुए बोले प्रजापति दक्ष!…

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शिव द्वारा दक्ष को जीवित करना – इकतालीसवां अध्याय

देवताओं ने महादेव जी की बहुत स्तुति की और कहा- भगवन्, आप ही परमब्रह्म हैं और इस जगत में सर्वत्र व्याप्त हैं। आप मृत्युंजय हैं। चंद्रमा, सूर्य और अग्नि आपकी…

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ब्रह्माजी का कैलाश पर शिवजी से मिलना – चालीसवां अध्याय

नारद जी ने कहा: हे महाभाग्य! हे विधाता! हे महाप्राण! आप शिवतत्व का ज्ञान रखते हैं। आपने मुझ पर बड़ी कृपा की जो इस अमृतमयी कथा का श्रवण मुझे कराया।…

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दधीचि का शाप और क्षुव पर अनुग्रह – उन्तालीसवां अध्याय

ब्रह्माजी बोले: नारद! श्रीहरि विष्णु अपने प्रिय भक्त राजा क्षुव के हितों की रक्षा करने के लिए एक दिन ब्राह्मण का रूप धारण करके दधीचि मुनि के आश्रम में पहुंचे।…

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दधीचि क्षुव विवाद – अड़तीसवां अध्याय

सूत जी कहते हैं: हे महर्षियो! ब्रह्माजी के द्वारा कही हुई कथा को सुनकर नारद जी आश्चर्यचकित हो गए तथा उन्होंने ब्रह्माजी से पूछा कि भगवान विष्णु शिवजी को छोड़कर…

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दक्ष का सिर काटकर यज्ञ कुंड में डालना – सैंतीसवां अध्याय

हे नारद! यज्ञशाला में उपस्थित सभी देवताओं को डराकर और मारकर वीरभद्र ने वहां से भगा दिया और जो बाकी बचे उनको भी मार डाला। तब उन्होंने यज्ञ के आयोजक…

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श्रीहरि और वीरभद्र का युद्ध – छत्तीसवां अध्याय

ब्रह्माजी कहते हैं: नारद! जब शिवजी की आज्ञा पाकर वीरभद्र की विशाल सेना ने यज्ञशाला में प्रवेश किया तो वहां उपस्थित सभी देवता अपने प्राणों की रक्षा के लिए शिवगणों…

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वीरभद्र का आगमन – पैंतीसवां अध्याय

दक्ष बोले: हे विष्णु ! कृपानिधान! मैं बहुत भयभीत हूं। आपको ही मेरी और मेरे यज्ञ की रक्षा करनी है। प्रभु! आप ही इस यज्ञ के रक्षक हैं। आप साक्षात…

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यज्ञ मण्डप में भय और विष्णु से जीवन रक्षा की प्रार्थना – चौंतीसवां अध्याय

ब्रह्माजी बोले: हे नारद! जब वीरभद्र और महाकाली की विशाल चतुरंगिणी सेना अत्यंत तीव्र गति से दक्ष के यज्ञ की ओर बढ़ी तो यज्ञोत्सव में अनेक प्रकार के अपशकुन होने…

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वीरभद्र और महाकाली का यज्ञशाला की ओर प्रस्थान – तेंतीसवां अध्याय

ब्रह्माजी कहते हैं: नारद! महेश्वर के आदेश को आदरपूर्वक सुनकर वीरभद्र ने शिवजी को प्रणाम किया। तत्पश्चात उनसे आज्ञा लेकर वीरभद्र यज्ञशाला की ओर चल दिए। शिवजी ने प्रलय की…

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शिवजी का क्रोध – बत्तीसवां अध्याय

ब्रह्माजी कहते हैं: नारद! उस आकाशवाणी को सुनकर सभी देवता और मुनि आश्चर्य से इधर-उधर देखने लगे। उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला। वे अत्यंत भयभीत हो गए।…

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आकाशवाणी – इकतीसवां अध्याय

ब्रह्माजी कहते हैं: हे नारद! जब दक्ष के उस महान यज्ञ में घोर उत्पात मचा हुआ था और सभी डर के कारण भयभीत हो रहे थे तो उस समय वहां…

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सती द्वारा योगाग्नि से शरीर को भस्म करना – तीसवां अध्याय

ब्रह्माजी से श्री नारद जी ने पूछा: हे पितामह ! जब सती जी ऐसा कहकर मौन हो गईं त वहां क्या हुआ? देवी सती ने आगे क्या किया? इस प्रकार…

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