शिव पुराण में उन्नति और मुक्ति का मार्ग बताया गया है। इसमें भोलेनाथ के अवतार और महीमा का वर्णन मिलता है। आइए जानते हैं शिव पुराण की वह अनमोल बातें जो मनुष्य के सुख-समृद्धि का राज हैं।
- मोह का त्याग – जब देवी सती ने अग्नि कुंड में प्राण त्याग दिए थे तो शिव उनकी देह लेकर पृथ्वी पर भटकने लगे, इस दौरान त्राही-त्राही मच गई थी। विष्णु जी ने सती के पार्थिव शरीर को छिन्न-भिन्न कर शिव का मोह तोड़ा था। शिव पुराण कहती है कि संसार में किसी भी वस्यु या लोगों से लगाव मानव को दुख और असफलता की ओर ले जाता है।
- तप – शिव पुराण के अनुसार तपस्या ही लक्ष्य प्राप्ति का उपाय है। देवी पार्वती ने शिव को पाने के लिए सालों तपस्या की। उनके इरादे इतने मजबूत थे की वह अपने जगह से टस से मस नहीं हुईं। लक्ष्य के प्रति लगन और इरादे अडिग हों तो कोई भी बाधा या लालच आपको हरा नहीं सकता।
- क्रोध का त्याग – शिव पुराण के अनुसार भोलेनाथ को खुश करना है तो अहंकार और क्रोध का त्याग करना होगा। ये दोनों सफलता की राह में बड़ी बाधा है। गुस्से से विवेक नष्ट हो जाता है और काम बिगड़ जातें हैं
- धन का उपयोग – धर्म को हमेशा धन से ऊपर रखना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार उचित तरीके से की गई कमाई को हमेशा तीन भागों में बांटना चाहिए। एक निवेश, दूसरा धन उपभोग, तीसरा धर्म के कार्य में व्यय करें। इस तरह पैसों के इस्तेमाल से जीवन सुखी और सफल बनता है।
- प्रदोषकाल – शिव पुराण के अनुसार प्रदोष काल शिव की पूजा का उत्तम समय माना गया है। वहीं शमशान को शिव का निवास माना जाता है। कहते हैं सुबह और शाम के समय कभी कटु वचन नहीं बोलने चाहिए। न ही किसी के प्रति मन में बुरे विचार लाएं। ऐसा करना पाप का भागी बनाता है।
- सम्मान – शिव पुराण के अनुसार गुरु और बड़ों का आदर करने वाला उत्तम स्थान पाता है। गुरु के बिना शिष्य का बेड़ा पार नहीं हो सकता और बड़ों के आशीष से तरक्की के मार्ग खुल जाते हैं। वहीं स्वंय के सम्मान से भी कभी समझौता न करें। मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम दूसरों को सम्मान देना चाहिए।