महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दू धर्म व शिव पूजा मे बहुत महत्व है व इसके अनेक लाभ हैं। इसका उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में किया गया है। इसके अलावा शिव पुराण व अन्य धार्मिक ग्रंथो में भी इसका महत्व बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो मृत्यु को जीतने वाला हो। इसलिए भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है। इसके जप से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती हैं। ये मंत्र जीवन देने वाला व कई दोषों को दूर करने वाला है। इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है। मंत्र के प्रभाव से हर तरह का डर और मुसीबतें खत्म हो जाती है। शिव पुराण में यहाँ उल्लेख किए गए महामृत्युंजय मंत्र के जप से आदि शंकराचार्य को भी जीवन की प्राप्ती हुई थी।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं स:
ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
ॐ स्व: भुव: भू:
ॐ स: जूं हौं ॐ !!
महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी मे अर्थ
इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।
इस मंत्र के अन्य प्रकार
एकाक्षरी (1) मंत्र- ‘हौं’ ।
रोजाना ऐसा करने से आपकी आयु लंबी होगी और स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
त्र्यक्षरी (3) मंत्र- ‘ॐ जूं सः’।
रात को सोने से पहले इस मंत्र का 27 बार जाप करने से आपको नियमित रूप से कोई भी बीमारी परेशान नहीं करेगी।
चतुराक्षरी (4) मंत्र- ‘ॐ वं जूं सः’।
इसका नियमित रूप से जाप करने से शल्य चिकित्सा, दुर्घटना का खतरा कम हो जाता है।
नवाक्षरी (9) मंत्र- ‘ॐ जूं सः पालय पालय’।
दशाक्षरी (10) मंत्र- ‘ॐ जूं सः मां पालय पालय’।
इसे अमृत मृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। जिस व्यक्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें, उस व्यक्ति का नाम इस मंत्र में जरूर प्रयोग करें। तांबे के लोटे में जल भरकर इसके सामने इस मंत्र का जाप करें। इस जल को उस व्यक्ति को पिलाएं जिसे आयु या स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो।
(स्वयं के लिए इस मंत्र का जप इसी तरह होगा जबकि किसी अन्य व्यक्ति के लिए यह जप किया जा रहा हो तो ‘मां’ के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लेना होगा)
मंत्र का जप करने का उपाय
रोज रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करने से अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर दूर होता है। साथ ही कुंडली के दूसरे बुरे रोग भी शांत होते हैं, इसके अलावा पांच तरह के सुख भी इस मंत्र के जाप से मिलते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप में रखें ये सावधानियां
1. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय तन यानी शरीर और मन बिल्कुल साफ होना चाहिए। यानी किसी तरह की गलत भावना मन में नहीं होनी चाहिए।
2. मंत्र का जाप उच्चारण ठीक ढंग से करना चाहिए। अगर स्वयं मंत्र न बोल पाएं तो किसी योग्य पंडित से भी इसका जाप करवाया जा सकता है।
3. मंत्र का जाप निश्चित संख्या में करना चाहिए। समय के साथ जाप संख्या बढ़ाई जा सकती है।
4. भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर अथवा महामृत्युंजय यंत्र के सामने ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
5. मंत्र जाप के दौरान पूरे समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
6. इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करना चाहिए। बिना आसन के मंत्र जाप न करें।
7. इस मंत्र का जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। निर्धारित स्थान पर ही रोज मंत्र जाप करें।
महामृत्युंजय मंत्र से होता है दोषों का नाश
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है।
महामृत्युजंय मंत्र का जप करने के लाभ
1. दीर्घायु (लम्बी उम्र) – जिस भी मनुष्य को लंबी उम्र पाने की इच्छा हो, उसे नियमित रूप से महामृत्युजंय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इसका का जप करने वाले को लंबी उम्र मिलती है।
2. आरोग्य प्राप्ति – यह मंत्र मनुष्य न सिर्फ निर्भय बनता है बल्कि उसकी बीमारियों का भी नाश करता है। भगवान शिव को मृत्यु का देवता भी कहा जाता है। इस मंत्र के जप से रोगों का नाश होता है और मनुष्य निरोगी बनता है।
3. सम्पत्ति की प्राप्ति – जिस भी व्यक्ति को धन-सम्पत्ति पाने की इच्छा हो, उसे महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए। इस मंत्र के पाठ से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं और मनुष्य को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
4. यश (सम्मान) की प्राप्ति – इस मंत्र का जप करने से मनुष्य को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है। सम्मान की चाह रखने वाले मनुष्य को प्रतिदिन महामृत्युजंय मंत्र का जप करना चाहिए।
5. संतान की प्राप्ति – महामृत्युजंय मंत्र का जप करने से भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है और हर मनोकामना पूरी होती है। इस मंत्र का रोज जाप करने पर संतान की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मंत्र जप के अन्य फायदे
- भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप किया जाता है।
- रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जप किया जाता है।
- पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना अनिवार्य है।
- यदि साधक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह साधना करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना रहती है।
क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप
महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
भगवान शिव मंदिर मे इस मंत्र का जप कराने के लिए संपर्क करें।
शिव रुद्राष्टकम Shiv Rudrashtakam – भगवान शिव को जल्द प्रसन्न करने के लिये