भगवान शिव को आशुतोष क्यों कहा जाता है?

भगवान शिव को 'आशुतोष' कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों के प्रति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। 'आशुतोष' का अर्थ होता है 'जल्दी प्रसन्न होने वाला' या 'तुरंत…

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भूतनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश: भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर

हिमाचल प्रदेश, भारत के उत्तरी भाग में स्थित एक रमणीय पहाड़ी राज्य है, जिसे अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां कई प्राचीन मंदिर और…

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भरमौर के 84 मंदिरों के खूबसूरत दर्शन!

हिमाचल प्रदेश, भारत - हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित भरमौर घाटी एक आश्चर्यजनक सौंदर्य से भरी हुई है और यह गांव 84 अद्भुत मंदिरों के लिए भी जाना…

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भगवान शिव का कैलाश पर्वत पर गमन – बीसवां अध्याय

ब्रह्माजी बोले- हे नारद मुनि! कुबेर के कैलाश पर्वत पर तप करने से वहां पर भगवान शिव का शुभ आगमन हुआ । कुबेर को वर देने वाले विश्वेश्वर शिव जब…

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गुणनिधि को कुबेर पद की प्राप्ति – उन्नीसवां अध्याय

नारद जी ने प्रश्न किया - हे ब्रह्माजी ! अब आप मुझे यह बताइए कि गुणनिधि जैसे महापापी मनुष्य को भगवान शिव द्वारा कुबेर पद क्यों और कैसे प्रदान किया…

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गुणनिधि को मोक्ष की प्राप्ति – अठारहवां अध्याय

ब्रह्माजी बोले- हे नारद! जब यह समाचार गुणनिधि को मिला तो उसे अपने भविष्य की चिंता हुई। वह कई दिनों तक भूखा-प्यासा भटकता रहा। एक दिन भूख-प्यास से व्याकुल वह…

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पापी गुणनिधि की कथा – सत्रहवां अध्याय

सूत जी कहते हैं - हे ऋषियो ! तत्पश्चात नारद जी ने विनयपूर्वक प्रणाम किया और उनसे पूछा— भगवन्! भगवान शंकर कैलाश पर कब गए और महात्मा कुबेर से उनकी…

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सृष्टि की उत्पत्ति – सोलहवां अध्याय

ब्रह्माजी बोले – नारद! शब्द आदि पंचभूतों द्वारा पंचकरण करके उनके स्थूल, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी, पर्वत, समुद्र, वृक्ष और कला आदि से युगों और कालों की मैंने…

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सृष्टि का वर्णन – पंद्रहवां अध्याय

नारद जी ने पूछा— हे पितामह! आपने बहुत सी ज्ञान बढ़ाने वाली उत्तम बातों को सुनाया। कृपया इसके अलावा और भी जो आप सृष्टि एवं उससे संबंधित लोगों के बारे…

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पुष्पों द्वारा शिव पूजा का माहात्म्य – चौदहवां अध्याय

ऋषियों ने पूछा- हे महाभाग ! अब आप यह बताइए कि भगवान शिवजी की किन - किन फूलों से पूजा करनी चाहिए? विभिन्न फूलों से पूजा करने पर क्या-क्या फल…

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शिव पूजन की श्रेष्ठ विधि – तेरहवां अध्याय

ब्रह्माजी कहते हैं - हे नारद! अब मैं शिव पूजन की सर्वोत्तम विधि बताता हूं। यह विधि समस्त अभीष्ट तथा सुखों को प्रदान करने वाली है। उपासक ब्रह्ममुहूर्त में उठकर…

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देवताओं को उपदेश देना – बारहवां अध्याय

नारद जी बोले- ब्रह्माजी ! आप धन्य हैं क्योंकि आपने अपनी बुद्धि को शिव चरणों में लगा रखा है। कृपा कर इस आनंदमय विषय का वर्णन सविस्तार पुनः कीजिए।  ब्रह्माजी…

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शिव पूजन की विधि तथा फल प्राप्ति – ग्यारहवां अध्याय

ऋषि बोले - हे सूत जी ! अब आप हम पर कृपा कर हमें ब्रह्माजी व नारद के संवादों के अनुसार शिव पूजन की विधि बताइए, जिससे भगवान शिव प्रसन्न…

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श्रीहरि को सृष्टि की रक्षा का भार एवं त्रिदेव को आयुर्बल देना – दसवां अध्याय

परमेश्वर शिव बोले- हे उत्तम व्रत का पालन करने वाले विष्णु ! तुम सर्वदा सब लोकों में पूजनीय और मान्य होगे । ब्रह्माजी के द्वारा रचे लोक में कोई दुख…

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देवी उमा एवं भगवान शिव का प्राकट्य एवं उपदेश देना – नवां अध्याय

ब्रह्माजी बोले - नारद! भगवान विष्णु द्वारा की गई अपनी स्तुति सुनकर कल्याणमयी शिव बहुत प्रसन्न हुए और देवी उमा सहित वहां प्रकट हो गए। भगवान शिव के पांच मुख…

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ब्रह्मा-विष्णु को भगवान शिव के दर्शन – आठवां अध्याय

ब्रह्माजी बोले- मुनिश्रेष्ठ नारद! हम दोनों देवता घमंड को भूलकर निरंतर भगवान शिव का स्मरण करने लगे। हमारे मन में ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट परमेश्वर के वास्तविक रूप का…

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