पुष्पों द्वारा शिव पूजा का माहात्म्य – चौदहवां अध्याय
ऋषियों ने पूछा- हे महाभाग ! अब आप यह बताइए कि भगवान शिवजी की किन - किन फूलों से पूजा करनी चाहिए? विभिन्न फूलों से पूजा करने पर क्या-क्या फल…
शिव पुराण – सात संहिताएं हैं।
शिव महापुराण में कुल मिलाकर 7 संहिताएं (sections) हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं:
ऋषियों ने पूछा- हे महाभाग ! अब आप यह बताइए कि भगवान शिवजी की किन - किन फूलों से पूजा करनी चाहिए? विभिन्न फूलों से पूजा करने पर क्या-क्या फल…
ब्रह्माजी कहते हैं - हे नारद! अब मैं शिव पूजन की सर्वोत्तम विधि बताता हूं। यह विधि समस्त अभीष्ट तथा सुखों को प्रदान करने वाली है। उपासक ब्रह्ममुहूर्त में उठकर…
नारद जी बोले- ब्रह्माजी ! आप धन्य हैं क्योंकि आपने अपनी बुद्धि को शिव चरणों में लगा रखा है। कृपा कर इस आनंदमय विषय का वर्णन सविस्तार पुनः कीजिए। ब्रह्माजी…
ऋषि बोले - हे सूत जी ! अब आप हम पर कृपा कर हमें ब्रह्माजी व नारद के संवादों के अनुसार शिव पूजन की विधि बताइए, जिससे भगवान शिव प्रसन्न…
परमेश्वर शिव बोले- हे उत्तम व्रत का पालन करने वाले विष्णु ! तुम सर्वदा सब लोकों में पूजनीय और मान्य होगे । ब्रह्माजी के द्वारा रचे लोक में कोई दुख…
ब्रह्माजी बोले - नारद! भगवान विष्णु द्वारा की गई अपनी स्तुति सुनकर कल्याणमयी शिव बहुत प्रसन्न हुए और देवी उमा सहित वहां प्रकट हो गए। भगवान शिव के पांच मुख…
ब्रह्माजी बोले- मुनिश्रेष्ठ नारद! हम दोनों देवता घमंड को भूलकर निरंतर भगवान शिव का स्मरण करने लगे। हमारे मन में ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट परमेश्वर के वास्तविक रूप का…
ब्रह्माजी कहते हैं - हे देवर्षि ! जब नारायण जल में शयन करने लगे, तब शिवजी की इच्छा से विष्णुजी की नाभि से एक बहुत बड़ा कमल प्रकट हुआ ।…
ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! तुम सदैव जगत के उपकार में लगे रहते हो। तुमने जगत के लोगों के हित के लिए बहुत उत्तम बात पूछी है। जिसके सुनने से…
सूत जी बोले- महर्षियो ! भगवान श्रीहरि के अंतर्धान हो जाने पर मुनिश्रेष्ठ नारद शिवलिंगों का भक्तिपूर्वक दर्शन करने के लिए निकल गए। इस प्रकार भक्ति-मुक्ति देने वाले अनेक शिवलिंगों…
ऋषि बोले - हे सूत जी ! रुद्रगणों के चले जाने पर नारद जी ने क्या किया और वे कहां गए? इस सबके बारे में भी हमें बताइए ।सूत जी…
सूत जी बोले - महर्षियो ! नारद जी के चले जाने पर शिवजी की इच्छा से विष्णु भगवान ने एक अद्भुत माया रची। उन्होंने जिस ओर नारद जी जा रहे…
सूत जी बोले- हे ऋषियो ! एक समय की बात है। ब्रह्मा पुत्र नारद जी हिमालय पर्वत की एक गुफा में बहुत दिनों से तपस्या कर रहे थे। उन्होंने दृढ़तापूर्वक…
जो विश्व की उत्पत्ति, स्थिति और लय आदि के एकमात्र कारण हैं, गिरिराजकुमारी उमा के पति हैं, जिनकी कीर्ति का कहीं अंत नहीं है, जो माया के आश्रय होकर भी…
सूत जी कहते हैं - महाज्ञानी शिवस्वरूप शौनक ! भगवान शंकर के प्रिय रुद्राक्ष का माहात्म्य मैं तुम्हें सुना रहा हूं। यह रुद्राक्ष परम पावन है। इसके दर्शन, स्पर्श एवं…
सूत जी ने कहा- हे ऋषियो ! अब मैं तुम्हारे लिए समस्त वस्तुओं को पावन करने वाले भस्म का माहात्म्य सुनाता हूं। भस्म दो प्रकार की होती है - एक…