शिव पुराण –  सात संहिताएं हैं। 

शिव महापुराण में कुल मिलाकर 7 संहिताएं (sections) हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं:

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रुद्र संहिता
  3. शत्रुद्र संहिता
  4. कोटिरुद्र संहिता
  5. उमा संहिता
  6. कैलास संहिता
  7. वायु संहिता

रुद्र संहिता

शिव महापुराण में “रुद्र संहिता” एक महत्वपूर्ण संहिता है जो भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं, लीलाओं, और उपासना का विस्तृत वर्णन प्रदान करती है। यह संहिता शिव महापुराण की दूसरी संहिता है और इसमें पांच खंड (अध्याय) होते हैं।

  1. प्रथम खंड: इस खंड में भगवान शिव के महात्म्य का वर्णन होता है और उनके विभिन्न अवतारों की कथाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
  2. सती खंड: इस खंड में भगवान शिव और देवी सती के विवाह, उनकी लीलाएं, और उनके अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन होता है।
  3. पार्वती खंड: इस खंड में देवी पार्वती के महात्म्य का वर्णन होता है और उनकी लीलाओं और तपस्या की कथाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
  4. कुमार खंड: इस खंड में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय (कुमार) के जन्म की कथा और उनकी लीलाओं का वर्णन होता है।
  5. युद्ध खंड: इस खंड में भगवान शिव के महाकाली और अन्य रूपों के साथ उनके युद्धों का विवरण होता है। इस खंड में भगवान शिव के विभिन्न रूपों की महाकाली, महाकाल, रुद्र, भैरव आदि के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान किया जाता है।

रुद्र संहिता भगवान शिव के महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित अंग है जो उनके भक्तों को उनके धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर गाइड करती है।

शिव निर्णय – सातवां अध्याय

महादेव जी बोले – पुत्रो ! मैं जानता हूं कि तुम ब्रह्मा और विष्णु के परस्पर युद्ध से बहुत दुखी हो। तुम डरो मत, मैं अपने गणों के साथ तुम्हारे…

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ब्रह्मा-विष्णु युद्ध – छठा अध्याय

नंदिकेश्वर बोले- पूर्व काल में श्री विष्णु अपनी पत्नी श्री लक्ष्मी जी के साथ शेष-शय्या पर शयन कर रहे थे। तब एक बार ब्रह्माजी वहां पहुंचे और विष्णुजी को पुत्र…

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शिवलिंग का रहस्य एवं महत्व – पांचवां अध्याय

सूत जी कहते हैं - हे शौनक जी ! श्रवण, कीर्तन और मनन जैसे साधनों को करना प्रत्येक के लिए सुगम नहीं है। इसके लिए योग्य गुरु और आचार्य चाहिए।…

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सनत्कुमार व्यास संवाद – चौथा अध्याय

सूत जी कहते हैं - हे मुनियो ! इस साधन का माहात्म्य बताते समय मैं एक प्राचीन वृत्तांत का वर्णन करूंगा, जिसे आप ध्यानपूर्वक सुनें। बहुत पहले की बात है,…

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श्रवण, कीर्तन और मनन साधनों की श्रेष्ठता – तीसरा अध्याय

व्यास जी कहते हैं - सूत जी के वचनों को सुनकर सभी महर्षि बोले- भगवन् आप वेदतुल्य, अद्भुत एवं पुण्यमयी शिव पुराण की कथा सुनाइए । सूत जी ने कहा…

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शिव पुराण का परिचय और महिमा – दूसरा अध्याय

सूत जी कहते हैं - साधु महात्माओ ! आपने बहुत अच्छी बात पूछी है। यह प्रश्न तीनों लोकों का हित करने वाला है। आप लोगों के स्नेहपूर्ण आग्रह पर, गुरुदेव…

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पापनाशक साधनों के विषय में प्रश्न – पहला अध्याय

जो आदि से लेकर अंत में हैं, नित्य मंगलमय हैं, जो आत्मा के स्वरूप को प्रकाशित करने वाले हैं, जिनके पांच मुख हैं और जो खेल-खेल में जगत की रचना,…

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श्रोताओं द्वारा पालन किए जाने वाले नियम – सातवां अध्याय

सूत जी बोले - शौनक ! शिव पुराण सुनने का व्रत लेने वाले पुरुषों के लिए जो नियम हैं, उन्हें भक्ति पूर्वक सुनो। शिव पुराण की पुण्यमयी कथा नियमपूर्वक सुनने…

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शिव पुराण के श्रवण की विधि – छठा अध्याय

शौनक जी कहते हैं - महाप्राज्ञ सूत जी ! आप धन्य एवं शिवभक्तों में श्रेष्ठ हैं। हम पर कृपा कर हमें कल्याणमय शिव पुराण के श्रवण की विधि बताइए, जिससे…

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बिंदुग का पिशाच योनि से उद्धार – पांचवां अध्याय

सूत जी बोले- शौनक ! एक दिन चंचुला आनंद में मग्न उमा देवी के पास गई और दोनों हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगी।चंचुला बोली - हे गिरिराजनंदिनी ! स्कंदमाता,…

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चंचुला की शिव कथा सुनने में रुचि और शिवलोक गमन – चौथा अध्याय

ब्राह्मण बोले- नारी तुम सौभाग्यशाली हो, जो भगवान शंकर की कृपा से तुमने वैराग्यपूर्ण शिव पुराण की कथा सुनकर समय से अपनी गलती का एहसास कर लिया है। तुम डरो…

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बिंदुग ब्राह्मण की कथा – तीसरा अध्याय

श्री सूत जी बोले - शौनक ! सुनो, मैं तुम्हारे सामने एक अन्य गोपनीय कथा का वर्णन करूंगा, क्योंकि तुम शिव भक्तों में अग्रगण्य व वेदवेत्ताओं में श्रेष्ठ हो ।…

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देवराज को शिवलोक की प्राप्ति – दूसरा अध्याय

श्री शौनक जी ने कहा - आप धन्य हैं, सूत जी ! आप परमार्थ तत्व के ज्ञाता हैं। आपने हम पर कृपा करके हमें यह अद्भुत और दिव्य कथा सुनाई…

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सूत जी द्वारा शिव पुराण की महिमा का वर्णन – पहला अध्याय

श्री शौनक जी ने पूछा - महाज्ञानी सूत जी, आप संपूर्ण सिद्धांतों के ज्ञाता हैं। कृपया मुझसे पुराणों के सार का वर्णन करें। ज्ञान और वैराग्य सहित भक्ति से प्राप्त…

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