शिव नाम की महिमा – तेईसवां अध्याय
ऋषि बोले- हे व्यास शिष्य सूत जी ! आपको नमस्कार है। हम पर कृपा कर हमें परम उत्तम 'रुद्राक्ष' तथा शिव नाम की महिमा का माहात्म्य सुनाइए । सूत जी…
शिव पुराण – सात संहिताएं हैं।
शिव महापुराण में कुल मिलाकर 7 संहिताएं (sections) हैं, जिनके नाम निम्नलिखित हैं:
ऋषि बोले- हे व्यास शिष्य सूत जी ! आपको नमस्कार है। हम पर कृपा कर हमें परम उत्तम 'रुद्राक्ष' तथा शिव नाम की महिमा का माहात्म्य सुनाइए । सूत जी…
ऋषि बोले - हे सूत जी ! हमने पूर्व में सुना है कि शिव का नैवेद्य ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस संबंध में शास्त्र क्या कहते हैं? इसके बारे में…
सूत जी बोले - महर्षियो ! पार्थिव लिंगों की पूजा करोड़ों यज्ञों का फल देने वाली है। कलियुग में शिवलिंग पूजन मनुष्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यह भोग और मोक्ष…
पार्थिव लिंग की श्रेष्ठता तथा महिमा का वर्णन करते हुए सूत जी ने कहा- हे श्रेष्ठ महर्षियो ! वैदिक कर्मों के प्रति श्रद्धाभक्ति रखने वाले मनुष्यों के लिए पार्थिव लिंग…
ऋषि बोले- हे सूत जी ! आप हम पर कृपा करके पार्थिव महेश्वर की महिमा का वर्णन, जो आपने वेद-व्यास जी से सुना है, सुनाइए । सूत जी बोले- हे…
ऋषि बोले- सर्वज्ञों में श्रेष्ठ सूत जी ! बंधन और मोक्ष क्या है ? कृपया हम पर कृपा कर हमें बताएं? सूत जी ने कहा- महर्षियो ! मैं बंधन और…
ऋषि बोले- महामुनि ! आप हमें 'प्रणव मंत्र' का माहात्म्य तथा 'शिव' की भक्ति-पूजा का विधान सुनाइए। प्रणव का माहात्म्य सूत जी ने कहा – महर्षियो ! आप लोग तपस्या…
ऋषियों ने कहा - साधु शिरोमणि सूत जी ! हमें देव प्रतिमा के पूजन की विधि बताइए, जिससे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। सूत जी बोले – हे महर्षियो…
ऋषियों ने कहा – समस्त पदार्थों के ज्ञाताओं में श्रेष्ठ सूत जी हमसे देश, काल और दान का वर्णन करें। देश का वर्णन सूत जी बोले- अपने घर में किया…
ऋषियों ने कहा - प्रभो ! अग्नियज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मयज्ञ का वर्णन करके हमें कृतार्थ करें। सूत जी बोले - महर्षियो ! गृहस्थ पुरुषों के लिए प्रातः और सायंकाल अग्नि…
ऋषियों ने कहा – सूत जी ! आप हमें वह सदाचार सुनाइए जिससे विद्वान पुरुष पुण्य लोकों पर विजय पाता है। स्वर्ग प्रदान करने वाले धर्ममय तथा नरक का कष्ट…
सूत जी बोले - हे विद्वान और बुद्धिमान महर्षियो ! मैं मोक्ष देने वाले शिवक्षेत्रों का वर्णन कर रहा हूं। पर्वत, वन और काननों सहित इस पृथ्वी का विस्तार पचास…
ऋषियों ने पूछा- सूत जी ! शिवलिंग की स्थापना कैसे करनी चाहिए तथा उसकी पूजा कैसे, किस काल में तथा किस द्रव्य द्वारा करनी चाहिए? सूत जी ने कहा- महर्षियो…
ब्रह्मा और विष्णु ने पूछा - प्रभु! सृष्टि आदि पांच कृत्यों के लक्षण क्या हैं? यह हम दोनों को बताइए | भगवान शिव बोले- मेरे कर्तव्यों को समझना अत्यंत गहन…
नंदिकेश्वर कहते हैं - ब्रह्मा और विष्णु भगवान शिव को प्रणाम कर चुपचाप उनके दाएं- बाएं भाग में खड़े हो गए। उन्होंने पूजनीय महादेव जी को श्रेष्ठ आसन पर बैठाकर…
नंदिकेश्वर बोले – महादेव जी ब्रह्माजी के छल पर अत्यंत क्रोधित हुए। उन्होंने अपने त्रिनेत्र ( तीसरी आंख) से भैरव को प्रकट किया और उन्हें आज्ञा दी कि वह तलवार…